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मदिरा सवैया




मदिरा सवैया


होय सपूत अगर घर में,सुख-शांति वहाँ नित आवत है।

गावत ढोल-मजीर लिये, प्रभु चेतन रूप दिखावत है।

मात-पिता खुश हों अनुदिन, प्रिय पूत सुमङ्गल गावत है।

बीतत रैन-दिवा सुख से, घर में मनरंजन आवत है।


बुद्धिविनायक नित्य खड़े,सब में अति हर्ष जगावत हैं।

होंय वृहस्पति ज्ञान निधान,सदा परिवार सजावत हैं।

 आँगन भाग्य निवास करे,धनदेवि सदा चल आवत हैं।

विष्णु निवास किया करते,प्रिय पूत जहाँ मनभावत हैं।



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1 Comments

Renu

25-Jan-2023 03:56 PM

👍👍🌺

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